दिल्ली में इन दिनों बड़ी हलचल देखी जा रही है, जहां सरकारी अधिकारी और पुलिस दल एक साथ मिलकर अवैध कब्जों को हटाने में जुटे हैं। इस अभियान की अगुवाई दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता कर रही हैं। लगातार चल रही बुलडोजर कार्रवाई से दिल्ली के कई इलाकों में लोगों के बीच भय और चर्चा दोनों फैली हुई है।
पिछले कुछ दिनों में इस पूरे अभियान को लेकर कई बड़ी घोषणाएं भी हुई हैं। दिल्ली सरकार ने साफ कहा है कि कानून के खिलाफ कोई भी कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, जिन लोगों की बस्तियों और दुकानों पर बुलडोजर चलना है उन्हें पहले से सूचना दी जा रही है, ताकि वे समय रहते अपनी व्यवस्था संभाल सकें।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में बताया कि दिल्ली सरकार लगातार हर रोज बदलाव की नई कोशिशें कर रही है। इन नीतियों का उद्देश्य है कि दिल्ली को अवैध कब्जे और समस्याओं से मुक्त किया जाए, जिससे यहाँ रहने वाले लोगों का जीवन आसान हो सके।
दिल्ली बुलडोजर एक्शन और सरकार का बड़ा खुलासा
दिल्ली में चल रहा यह बुलडोजर अभियान दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA), दिल्ली पुलिस और राज्य सरकार की संयुक्त कोशिश है। इस अभियान में सरकारी जमीनों, रेलवे लाइन के पास बनी झुग्गियों और अन्य अवैध निर्माण को हटाया जा रहा है। खासतौर पर अशोक विहार, वजीरपुर, सैनीक फार्म्स, ओखला के बाटला हाऊस और काला झील जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर काम हो रहा है।
लोगों की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। CM रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकार का मकसद किसी को परेशान करना नहीं है बल्कि दिल्ली को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाना है। जमीनों के अवैध उपयोग से होने वाले हादसे, जैसे रेलवे लाइन के पास बनी झुग्गियां, किसी अनहोनी का कारण बन सकती हैं। सरकार का कहना है कि इन सभी जगहों को खाली कराना जरूरी है ताकि भविष्य में किसी भी तरह का बड़ा नुकसान न हो।
कौन सी स्कीमें और योजनाएँ लागू हैं
दिल्ली में अवैध बस्तियों को लेकर “प्रधानमंत्री-Unauthorized Colonies in Delhi Awas Adhikar Yojana (PM-UDAY)” जैसी योजना लागू है। इस स्कीम के तहत 1,731 कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया चल रही है। जिन झुग्गी-बस्तियों या आवासीय कॉलोनियों का नाम लिस्ट में है, उन्हें मालिकाना हक और सरकार से सुविधाएँ मिलेंगी। लेकिन सैनीक फार्म्स और कुछ अन्य इलाकों में अभी यह स्कीम लागू नहीं हो सकी है, जिससे वहाँ रह रहे लोगों में चिंता बनी हुई है।
सरकार का दावा है कि जिन क्षेत्रों में बुलडोजर चल रहा है वहाँ पर्याप्त नोटिस दिया गया है और जहाँ मुमकिन है, पुनर्वास की व्यवस्था भी कराई जा रही है। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) इसकी निगरानी कर रहा है। इसकी गाइडलाइंस के अनुसार, 1 जनवरी 2006 से पहले बनी झुग्गी बस्तियों का स्थानांतरण बिना उचित पुनर्वास के नहीं किया जाएगा।
पुनर्वास और लोगों की परेशानियाँ
हालांकि सरकार स्कीमों का दावा करती है, हकीकत में कई लोगों को पुनर्वास सुविधा नहीं मिल पाई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च से अब तक करीब 27,000 लोग बेघर हो गए हैं। मुश्किल यह है कि जिन इलाकों में पुनर्वास के नाम पर जगह दी भी गई है, वहाँ रहने की परिस्थितियाँ ठीक नहीं हैं। जिन परिवारों को नोटिस दिया गया, उन्हें भी अधिकतर मामलों में केवल 3-4 दिन पहले जानकारी मिली, जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार 15 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य है।
अचानक घर छिन जाने से लोगों को सबसे ज्यादा चिंता खाने-पीने और रहने की हो गई है। कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहाँ शरण ले रहे हैं जबकि कई लोग राहत शिविरों में रहकर नई उम्मीद की तलाश में हैं।
सीएम रेखा गुप्ता के हालिया फैसले
रेखा गुप्ता ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनकी सरकार “मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस” की नीति पर काम कर रही है। उन्होंने दिल्ली के सर्दी, बारिश और धार्मिक उत्सव जैसे सावन के कांवड़ यात्रा के दौरान बेहतर व्यवस्था के लिए नई नीतियाँ लागू की हैं। खासकर कांवड़ यात्रियों के लिए बने टेंट और सुविधाओं के लिए सरकारी खर्चों में पारदर्शिता और DBT (Direct Benefit Transfer) को लागू किया गया है ताकि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके।
सरकार यह भी देख रही है कि पुनर्वास की प्रक्रिया में एक भी जरूरतमंद छूटे न, और जितने भी परिवारयान इन कार्रवाइयों से प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें पूरी मदद मिले। हर नए फैसले को जल्द से जल्द लागू करने का प्रयास जारी है।
निष्कर्ष
दिल्ली में चल रहे बुलडोजर एक्शन का मकसद दिल्ली को सुरक्षित, साफ और सभी के लिए व्यवस्थित बनाना है। सरकार की योजनाएँ बड़े स्तर पर लागू की जा रही हैं मगर बहुत-से लोगों को तुरंत राहत नहीं मिल पा रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की कोशिश है कि कानून का पालन हो और जरूरतमंद को बराबर मदद भी मिल सके। आने वाले वक्त में यह उम्मीद है कि दिल्ली की व्यवस्था और लोगों का जीवन दोनों बेहतर बनेंगे।