भारत में नए लेबर कानून को लेकर हाल ही में काफी चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर खबर वायरल है कि मोदी सरकार 7 दिन काम और 4 दिन छुट्टी वाला नया कानून लाने वाली है। इस खबर के बाद कई लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है कि क्या सरकार वाकई वर्किंग डेज और छुट्टियों में बड़ा बदलाव करने वाली है।
अब ज्यादा लोग सोच रहे हैं कि अगर हफ्ते में 7 दिन काम करने के बाद 4 दिन छुट्टी मिल जाए तो जीवन में कितना सुकून मिल सकता है। इस खबर को सुनकर बड़ी तादाद में नौकरीपेशा लोग और काम करने वाले लोग राहत की सांस ले रहे हैं। लेकिन इस नई स्कीम की सच्चाई क्या है और सरकार सच में क्या बदलाव लाने वाली है, जानते हैं विस्तार से।
7 दिन काम – 4 दिन छुट्टी: असली सच्चाई क्या है?
सरकार की ओर से अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है जिसमें यह साफ तौर पर कहा गया हो कि 7 दिन काम करने के बदले 4 दिन की छुट्टी मिलेगी। अब तक जो जानकारी सरकार की तरफ से दी गई है, उसमें नए लेबर कोड यानी लेबर लॉ में सुधार की बातें जरूर हो रही हैं।
मोदी सरकार पिछले कुछ समय से देश के लेबर कानूनों में बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है। सरकार लेबर कोड को सरल और मौजूदा समय के हिसाब से बदलने की कोशिश कर रही है। पहले भारत में 44 तरह के लेबर लॉ थे, जिन्हें कम करके 4 कोड में समेटने की बात चल रही है।
इन नए लेबर कोड में शामिल है- वेज कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड। इनका मकसद है कि काम की जगहें तो सुरक्षित बनें, साथ ही कर्मचारियों को नियमों के अनुसार सही लाभ भी मिले।
सरकार ने अब तक कहा है कि कंपनियां चाहें तो 12 घंटे की शिफ्ट लागू कर सकती हैं, लेकिन सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। इसका मतलब है अगर कोई 12-12 घंटे चार दिन काम करता है तो बाकी तीन दिन छुट्टी ले सकता है। लेकिन ‘7 दिन काम – 4 दिन छुट्टी’ का नियम न तो सरकारी घोषणा में है, न ही लेबर कोड में लिखा गया है।
गवर्नमेंट और स्कीम का तथ्य
इस नए बदलाव का नाम है ‘New Labor Code’ या ‘Naya Shram Kanun’। यह पूरे देश के संगठित और असंगठित सेक्टर के कर्मचारियों पर लागू होने की बात कही गई है।
इस कानून में कर्मचारियों को ओवरटाइम की स्पष्ट सीमा, नई छुट्टियों का प्रावधान, और काम के घंटे में बदलाव का विकल्प दिया गया है। सरकार चाहती है कि कंपनियां कर्मचारियों को लचीले समय यानी फ्लेक्सिबल वर्किंग ऑवर की सहूलियत दें।
इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी हाल में साप्ताहिक 48 घंटे से ज्यादा कर्मचारी से काम नहीं लिया जाएगा। अगर कंपनी 12 घंटे की शिफ्ट कराती है, तो उसके बदले अधिक छुट्टियां मिल सकती हैं। इसका फायदा कर्मचारियों को मिलेगा, जिससे वे अपनी फैमिली के लिए भी वक्त निकाल पाएंगे। साथ ही, बार-बार छुट्टी के लिए आवेदन भी कम करना पड़ेगा।
यह स्कीम पूरी तरह से कंपनियों और कर्मचारियों की सहमति पर आधारित है। यानि अगर कर्मचारी और कंपनी दोनों खुश हैं, तभी नया शेड्यूल लागू हो सकता है। किसी पर जबरदस्ती लागू नहीं किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर फैली अफवाह
कुछ मीडिया रिपोर्ट और सोशल पोस्ट में कहा गया कि मोदी सरकार ने 7 दिन के बाद 4 दिन की छुट्टी वाली योजना तैयार कर ली है। पर वास्तव में ऐसा अभी किसी सरकारी दस्तावेज या अधिसूचना में नहीं बताया गया है।
सरकार की वेबसाइट और श्रम मंत्रालय के अनुसार, लेबर कोड अभी लागू किए जाने की प्रक्रिया में हैं और कई राज्यों में इनकी ओर से कागजी कार्रवाई चल रही है। इसी की वजह से सोशल मीडिया पर गलतफहमी फैल रही है कि पूरे देश में 7 दिन काम के बाद 4 दिन की छुट्टी लागू होने वाली है।
कौन से कर्मचारी होंगे प्रभावित?
यह नया लेबर कोड उन कर्मचारियों पर लागू होगा, जो फैक्ट्री, कंपनी, शॉप या किसी भी ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करते हैं। साथ ही, अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के वर्कर्स को भी इसमें फायदा मिल सकता है। इससे कर्मचारियों की आय, उनकी सेफ्टी और नौकरी की शर्तें बेहतर होने की उम्मीद है।
इसके लागू होने पर कंपनियों को भी अपने नियम, कागजात और वर्किंग शेड्यूल में बदलाव करना पड़ेगा। कर्मचारियों को नई तरह की पेंशन, ग्रेच्युटी और पीएफ जैसी सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
अभी ‘7 दिन काम – 4 दिन छुट्टी’ जैसा कोई कानून सरकार ने लागू नहीं किया है, पर हां, नए लेबर कोड में काम के घंटे और छुट्टियों को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी जरूर हो रही है। कर्मचारियों और मालिकों दोनों को अच्छी तरह से नियम समझकर ही अपने ऑफिस या फैक्ट्री का रोस्टर तय करना चाहिए। नए नियमों से कर्मचारी और कंपनियों दोनों के लिए सिस्टम ज्यादा आसान और सुरक्षित बनेगा।