आजकल डिजिटल दौर में ज्यादा लोग बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। पैसे जमा करना, निकालना या फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी करना हमारे रोजमर्रा के फैसलों में से एक बन गया है। लेकिन 1 अगस्त से बैंकिंग से जुड़े कुछ नियम बदलने जा रहे हैं, जिनका असर आम लोगों और खासतौर पर बड़े लेन-देन करने वालों पर पड़ेगा। बैंक में तय सीमा से ज्यादा पैसे जमा या निकालने पर अब आयकर विभाग की नजर और सख्त हो जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि आप इन नियमों के बारे में पूरी जानकारी रखें, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बच सकें।
आंकड़ों और जानकारी के मुताबिक सरकार और आयकर विभाग ने अब बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे अधिक पैसे जमा-निकासी या बड़ी एफडी से जुड़े हर ट्रांजैक्शन की जानकारी सीधा आयकर विभाग को दें। इसका मकसद काले धन को रोकना, टैक्स चोरी को नियंत्रित करना और पैसों का सही रिकॉर्ड रखना है। इससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को कोई चिंता नहीं होनी चाहिए, मगर उन लोगों को सतर्क रहना जरूरी है, जो बिना टैक्स भरे ज्यादा कैश या बड़ी एफडी करते हैं।
1 अगस्त से बैंकिंग लेन-देन और आयकर नोटिस: पूरी जानकारी
1 अगस्त 2025 से बैंकों में नकद जमा, निकासी और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के मामले में नया नियम लागू होगा। अब बैंक अगर किसी खाते में साल भर में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा की नकद राशि जमा या निकालते हैं, तो उसकी जानकारी आयकर विभाग को देंगे। इसी तरह सालाना 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा की एफडी करने पर भी आपकी जानकारी सीधा विभाग को जाएगी।
यह नियम सिर्फ एक खाते तक सीमित नहीं है। अगर आपके पास एक से ज्यादा खाते हैं, तो कुल जमा और निकासी रकम को जोड़कर देखा जाएगा। यानी अगर आपने अलग-अलग शाखाओं या बैंकों में भी 10 लाख या उससे ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन किया है, तो आपकी जांच हो सकती है।
सरकार की यह पहल स्पेशल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन रिपोर्टिंग (SFT) स्कीम के तहत लागू की गई है। इसमें बैंक अपनी हर हाई-वैल्यू डील को आयकर विभाग को साझा करेगा। सरकार का मकसद साफ है—कर व्यवस्था को मजबूत करना और बेनामी लेन-देन या आय छुपाने पर नकेल कसना।
किन मामलों में आ सकता है इनकम टैक्स नोटिस?
अगर आपने 1 अप्रैल से 31 मार्च के वित्तीय वर्ष में किसी भी खाते में 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा नकद जमा किया या निकाला है, तो बैंक इसकी रिपोर्ट दे देगा। उसी तरह 10 लाख रुपये या ज्यादा की एफडी कराने पर भी आपकी डिटेल इनकम टैक्स विभाग तक पहुंच जाएगी। इसके अलावा, कुछ ज्वेलरी की खरीद, रियल एस्टेट डील या शेयरों में एक निश्चित रकम से ज्यादा निवेश होने पर भी जानकारी विभाग को भेजी जाती है।
अगर आपके PAN कार्ड के डिटेल्स बैंक खाते में अपडेट हैं, तो ये सभी डेटा सीधे विभाग तक जाएंगे। आयकर विभाग फिर आपकी फाइलिंग, रीटन और बैंकिंग पैटर्न का मिलान कर सकता है। अगर कोई गड़बड़ी दिखती है या रकम और आय में अंतर दिखे, तो आपको विभाग की ओर से नोटिस आ सकता है।
किसे रखना चाहिए सावधान?
आम आदमी जिसे सिर्फ रोजमर्रा की जरूरतों के लिए खाते का इस्तेमाल करना है, उसे घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपकी आय टैक्स के दायरे में आती है और आप सही तरीके से रिटर्न फाइल करते हैं, तो यह नियम आपको परेशान नहीं करेगा। लेकिन फर्म, व्यापारी, बड़े कारोबारी या वे लोग जिनकी आमदनी का स्रोत स्पष्ट नहीं है, उन्हें सतर्क रहने की आवश्यकता है।
आयकर विभाग कई बार बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से मिली जानकारी का मिलान आपके रिटर्न से करता है। यदि आपकी जमा या निकासी की राशि आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाती या अचानक ज्यादा रकम जमा होती है, तो नोटिस मिल सकता है। ऐसे में रिकॉड्स और जरूरी कागजों को हमेशा संभालकर रखें और ईमानदारी से रिटर्न फाइल करें।
SFT स्कीम क्या है और इसका मकसद
स्पेशल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन रिपोर्टिंग (SFT) एक सरकारी योजना है, जिसमें बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी और दूसरे संस्थाओं को हाई-वैल्यू की लेन-देन रिपोर्ट देनी होती है। इसका मेन मकसद यह है कि हर बड़ा लेन-देन आयकर विभाग के रडार पर आ जाए और कोई भी व्यक्ति या संस्था काले धन, टैक्स चोरी या बिना हिसाब-किताब के पैसा न चला सके। SFT के जरिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हर बड़ी कैश जमा, निकासी, ज्वेलरी खरीद, महंगी प्रॉपर्टी डील और भारी निवेश पर खुद नजर रख सकता है।
क्या करें और क्या न करें?
- अपने बैंकिंग लेन-देन का ध्यान रखें और जरूरत के हिसाब से बैंक स्टेटमेंट, जमा की रसीदें और पूरी जानकारी रखते रहें।
- अगर आपकी जमा या निकासी तय सीमा से ज्यादा हो जाती है, तो उसका स्रोत साफ रखें और भविष्य में टैक्स विभाग को इसकी जरूरत पड़ी तो तुरंत प्रस्तुत करें।
- खातों में KYC और PAN डिटेल्स अपडेट रखें।
- अगर नोटिस आता है तो घबराएं नहीं, जरूरी डॉक्यूमेंट जमा करें और सही जानकारी दें।
- टैक्स बचाने के लिए कभी भी गलत जानकारी न दें।
निष्कर्ष
बैंकिंग नियमों में हुए बदलाव लोगों की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए किए गए हैं। अगर आप सही तरीके से टैक्स फाइल करते हैं और अपने लेन-देन का रिकॉर्ड रखते हैं, तो आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है। नया नियम काले धन और टैक्स चोरी पर नकेल कसने का एक कदम है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। हमेशा अपने डॉक्यूमेंट और खातों से जुड़े डेटा अपडेट रखते हुए बेफिक्र तरीके से अपने फाइनेंसियल प्लान कीजिए।