देश के सरकारी विभागों में जो कर्मचारी सालों से संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर काम कर रहे थे, उनके लिए हाल ही में बड़ी राहत की खबर आई है. लंबे समय से यह कर्मचारी अपनी नौकरी की सुरक्षा और स्थायीत्व के लिए संघर्ष कर रहे थे. संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों का सबसे बड़ा डर यही रहता था कि कभी भी उनकी नौकरी छूट सकती है और आगे का भविष्य पूरी तरह अनिश्चित है.
इन कर्मचारियों को कम वेतन, काम का ज्यादा बोझ और सरकारी सुविधाएं ना मिलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. लेकिन सरकार और कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है. हाल ही में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने संविदा कर्मचारियों को स्थायी (परमानेंट) करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने का सरकार का आदेश
अब सरकार ने “संविदा कर्मचारी नियमितीकरण योजना” लागू की है. इसके तहत, ऐसे कर्मचारी, जो कई सालों से संविदा या आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे हैं, उन्हें स्थायी नौकरी का लाभ मिलेगा. कोर्ट ने कहा है कि जिन कर्मचारियों ने लगातार 5-10 साल तक एक ही विभाग में सेवा दी है, अच्छी योग्यता और सेवा रिकॉर्ड है, केवल अस्थायी मान लेना उनके साथ अन्याय है. अगर कोई कर्मचारी नियमानुसार विभाग की जरूरत पर सालों से सेवा दे रहा है, तो विभाग उस कर्मचारी को अब स्थायी नियुक्ति देगा.
यह योजना मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर निगम, पंचायत, ग्रामीण विकास, परिवहन, कृषि, आंगनबाड़ी आदि विभागों में लागू हो रही है. राज्य सरकारें जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब आदि भी इस नीति को तेजी से लागू कर रही हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और पात्रता के आधार पर चयन होगा.
कर्मचारियों को अब सिर्फ स्थायीत्व ही नहीं, बल्कि सरकारी वेतन, पेंशन, प्रमोशन, बचत योजनाएं और सारी सरकारी सुविधाएं भी मिलेंगी. अब कर्मचारियों के आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी, क्योंकि भविष्य सुरक्षित हो जाएगा और नौकरी अस्थायी रूप से नहीं, स्थायी रूप से मिलेगी.
योजना कैसे लागू हो रही है
संविदा कर्मचारी नियमितीकरण के लिए विभागवार वरिष्ठता सूची तैयार की जाती है. इसके तहत, कर्मचारी को अपना सेवा प्रमाण-पत्र, शैक्षिक योग्यता, पहचान पत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं. विभाग इन सभी दस्तावेजों की जांच करता है और फिर योग्य कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति दी जाती है. जो कर्मचारी सभी शर्तें पूरी करते हैं, उनके लिए विभागीय स्तर पर आदेश जारी होता है, जिससे वो परमानेंट कर्मचारी बन जाते हैं.
यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि अब नियमित पदों पर केवल स्थायी कर्मचारियों की भर्ती होगी, संविदा वाली व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. कुछ राज्यों में संविदा कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी नए कानून लागू किए जा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में संविदा कर्मचारियों के वेतन, ईपीएफ और ईएसआई सुविधाओं की व्यवस्था की गई है और हर महीने की पांच तारीख को वेतन मिलने की समय-सीमा सुनिश्चित की जा रही है.
कौन-कौन कर्मचारी होंगे लाभान्वित
इस योजना का लाभ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जो सालों से विभाग की जरूरतों के मुताबिक सेवा दे रहे हैं, जिनका सेवा रिकॉर्ड अच्छा है, शैक्षिक योग्यता पूरी है और जिन पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई है. उम्मीदवार को सभी जरूरी दस्तावेज विभाग को जमा कराना होगा. यह योजना सभी राज्यों में चरणबद्ध तरीके से लागू हो रही है.
कोर्ट के निर्देश के अनुसार, किसी भी कर्मचारी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. यानी जिन कर्मचारियों को सालों से नियमित किए जाने का इंतजार था, उन्हें अब प्राथमिकता दी जाएगी. यह प्रक्रिया एक साथ नहीं होगी, धीरे-धीरे सभी पात्र संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाएगा.
इस योजना के मुख्य लाभ
सरकार की इस पहल से संविदा कर्मचारियों को अब भविष्य की सुरक्षा मिल जाएगी. उन्हें वेतन, सरकारी सुविधा, प्रमोशन, पेंशन, रिटायरमेंट लाभ और बाकी सारी सुविधाएं एक स्थायी कर्मचारी की तरह मिलेंगी.
कार्य संस्कृति में सुधार आएगा, कर्मचारी भविष्य की चिंता छोड़कर मन लगाकर काम करेंगे. साथ ही, सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
निष्कर्ष
संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने का सरकार का यह बड़ा आदेश लाखों कर्मचारियों के लिए राहत और उम्मीद का संदेश है. अब उन्हें अस्थायी नोकरी, कम वेतन या अगले साल की टेंशन नहीं सताएगी. यह ऐतिहासिक फैसला उनके भविष्य को सुरक्षित बनाएगा और सम्मान के साथ सरकारी सुविधाओं का हकदार बनाएगा.