Govt Job Promotion Rules: सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका – बदले प्रमोशन के नियम, जानें नई गाइडलाइन

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Government job promotion rules
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सरकारी नौकरी हमेशा से ही सुरक्षा, स्थिरता और भविष्य की गारंटी के लिए जानी जाती रही है। सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन यानी पदोन्नति की प्रक्रिया भी उनके करियर ग्रोथ का अहम हिस्सा होती है। लेकिन हाल ही में कई राज्यों में प्रमोशन के नियमों में बदलाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं, जिससे लाखों कर्मचारियों के भविष्य पर असर पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश में पिछले 9 साल से प्रमोशन की प्रक्रिया रुकी हुई थी, जिससे हजारों अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए। इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल गिरा, बल्कि प्रशासनिक कार्यक्षमता पर भी असर पड़ा। अब सरकार ने नए नियम लागू कर पदोन्नति की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया है, जिससे कर्मचारियों में एक बार फिर उम्मीद जगी है।

Government Job Promotion New Rules

मध्य प्रदेश सरकार ने 2025 में “मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम, 2025” को मंजूरी दी है। इस नए नियम के तहत अब कर्मचारियों को 9 साल बाद प्रमोशन का मौका मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि आरक्षित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिले, साथ ही योग्यता और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर भी पदोन्नति दी जाए।

अब प्रमोशन केवल वरिष्ठता (सीनियरिटी) के आधार पर नहीं बल्कि परफॉर्मेंस और योग्यता को भी महत्व दिया गया है। यानी, कर्मचारी की कार्यकुशलता, योग्यता और प्रशासनिक दक्षता को प्रमोशन में अहम मानदंड बनाया गया है। इससे योग्य कर्मचारियों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा और सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

सरकार ने हर विभाग में “विभागीय पदोन्नति समिति” (Departmental Promotion Committee) बनाने का प्रावधान किया है। यह समिति तय करेगी कि किस कर्मचारी को प्रमोशन मिलना चाहिए। समिति में संबंधित विभाग के सचिव या विभागाध्यक्ष अध्यक्ष होंगे और एससी-एसटी वर्ग के अफसरों को भी शामिल किया जाएगा।

आरक्षण और प्रमोशन

नए नियमों में एससी और एसटी वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन में भी आरक्षण जारी रहेगा। एससी के लिए 16% और एसटी के लिए 20% पद आरक्षित रहेंगे। सरकार का कहना है कि इससे आरक्षित वर्गों को भी बराबर का अवसर मिलेगा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित होगा।

हालांकि, कुछ कर्मचारी संगठनों ने इन नियमों का विरोध भी किया है, खासकर आरक्षण के प्रावधानों को लेकर। सरकार ने हाईकोर्ट में कैविएट दायर किया है ताकि किसी भी कानूनी अड़चन से निपटा जा सके और प्रमोशन प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।

प्रमोशन की प्रक्रिया और समयसीमा

अब हर वित्त वर्ष में दो बार विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक होगी। पहली बार जून-जुलाई में और दूसरी बार सितंबर-अक्टूबर में। कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने के बाद दो महीने के अंदर नई पोस्ट पर जॉइन करना होगा, वरना अगले 5 साल तक प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा।

यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, वह निलंबित है, या उस पर आपराधिक आरोप तय हो चुके हैं, तो उसे प्रमोशन के लिए अयोग्य माना जाएगा। साथ ही, जिन कर्मचारियों पर सरकारी वसूली के आदेश हैं, वे पूरी राशि जमा किए बिना प्रमोशन के हकदार नहीं होंगे।

नए नियमों का असर

मध्य प्रदेश के नए प्रमोशन नियमों के लागू होने से लगभग 4 लाख कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलेगा। 9 साल से रुकी प्रमोशन प्रक्रिया अब फिर से शुरू हो गई है, जिससे कर्मचारियों में उत्साह है। प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता भी सुधरेगी।

सरकार का दावा है कि इन नियमों से योग्यता, आरक्षण और पारदर्शिता का संतुलन बना रहेगा। हालांकि, कुछ कर्मचारी संगठन अभी भी इन नियमों में बदलाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने साफ किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन ही सारी प्रक्रिया चलेगी।

निष्कर्ष

सरकारी नौकरी में प्रमोशन के नए नियमों ने कर्मचारियों को राहत तो दी है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। योग्यता और आरक्षण के संतुलन के साथ, अब कर्मचारियों को अपने प्रदर्शन पर भी ध्यान देना होगा। सरकार का प्रयास है कि सभी को न्याय मिले और प्रशासनिक व्यवस्था और मजबूत हो।

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