इनकम टैक्स रिटर्न भरना हर भारतीय करदाता के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, जिससे सरकार देश के राजस्व का आंकलन कर पाती है और नागरिकों की आय का हिसाब-किताब रखती है। हर साल करोड़ों लोग अपना इनकम टैक्स रिटर्न ऑनलाइन या ऑफलाइन फॉर्मेट में दाखिल करते हैं। इसमें न केवल आपकी कमाई का विवरण होता है, बल्कि आपको टैक्स बचत, रिफंड या किसी भी अतिरिक्त देनदारी का भी पता चलता है।
हर वित्तीय वर्ष के बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरने की एक निश्चित डेडलाइन तय होती है। कभी–कभी तकनीकी कारणों, नीतिगत बदलावों या प्रशासनिक जरूरतों के चलते सरकार इन तारीखों में बदलाव करती है। साल 2025 में ऐसा ही एक अहम बदलाव किया गया है, जिससे आम करदाता को राहत मिल सके।
क्या है नई डेडलाइन?
हाल ही में केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख बढ़ा दी है। पहले यह डेडलाइन 31 जुलाई 2025 थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है।
यह बदलाव खासतौर पर उन करदाताओं की सुविधा के लिए किया गया है, जिन्हें इस बार के नए टैक्स फॉर्म्स भरने और टैक्स पोर्टल में अपडेट्स को समझने में अधिक समय की जरूरत थी। साथ ही, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने टेक्निकल तैयारियों, ITR फॉर्म में किए गए बदलाव और टीडीएस क्रेडिट जैसी प्रक्रियाओं के लिए भी अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया है।
अब जिन व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP) और बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOI) को ऑडिट की आवश्यकता नहीं है, उनके लिए नई आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है। जिन व्यापार संस्थाओं को ऑडिट कराना जरूरी है, उनकी रिटर्न फाइल की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2025 है। वहीं, जिन कंपनियों को ट्रांसफर प्राइसिंग की रिपोर्ट बनानी है, उनके लिए ये तारीख 30 नवंबर 2025 निर्धारित की गई है।
अगर कोई करदाता तय समय सीमा में रिटर्न भरने से चूक जाता है, तो वह 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित (belated) या संशोधित (revised) ITR फाइल कर सकता है। इसके बाद रिटर्न फाइल करने की अनुमति केवल विशेष अधिकारियों की स्वीकृति से ही मिल पाएगी।
नियम – 2025 के लिए अहम बातें
इस बार टैक्स सिस्टम में बदलाव हुए हैं। नए फॉर्म्स में अतिरिक्त जानकारी और अपडेटेड फीचर्स जोड़ने की वजह से करदाताओं के लिए रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया अब और ज्यादा पारदर्शी तथा आसान हो गई है। खास बात यह है कि अब करदाता को ‘नया टैक्स सिस्टम’ डिफॉल्ट रेजीम के तौर पर दिया गया है। अगर वे पुराने टैक्स सिस्टम का लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्हें फॉर्म-10IEA भरकर समय से पहले ऑप्शन चुनना होगा।
टैक्सपेयर्स के पास हर साल रिटर्न फाइल करते समय फैसला लेने का विकल्प भी रहेगा कि उन्हें कौन-सा टैक्स सिस्टम चुनना है। पुराने टैक्स सिस्टम में ज्यादा डिडक्शन, छूट या टैक्स सेविंग्स की अनुमति अब भी दी जाती है, जब कि नए टैक्स सिस्टम में स्लैब सीधा और सरल रखा गया है।
साथ ही सरकार के इन फैसलों से ये भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि टीडीएस की पूरी जानकारी समय पर करदाता के खाते में अपडेट हो जाए। इसके अलावा, आईटीआर पोर्टल को नए फॉर्म और नियमों के अनुरूप तैयार करने में सरकार को अतिरिक्त समय लगा, जिसकी वजह से डेडलाइन बढ़ाई गई।
डेडलाइन चूकने पर क्या होगा?
हर करदाता को सलाह दी जाती है कि तय तारीख के भीतर ही अपना ITR फाइल करें, लेकिन किसी कारणवश अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तब भी कुछ विकल्प मौजूद हैं। निर्धारित डेडलाइन के बाद 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित या संशोधित रिटर्न फाइल किया जा सकता है।
- अगर किसी व्यक्ति की कुल वार्षिक आय 5 लाख रुपये या ज्यादा है, तो विलंबित रिटर्न फाइल करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
- 5 लाख रुपये से कम आय वालों के लिए यह जुर्माना 1,000 रुपये है।
- रिटर्न देर से फाइल करने पर बची हुई टैक्स रकम पर सेक्शन 234A के तहत प्रति माह 1% ब्याज भी देना होगा।
- अगर लगातार डेडलाइन चूकते हैं, तो स्टॉक मार्केट, प्रॉपर्टी या व्यवसाय में हुए नुकसान को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड करने का लाभ भी मिलता नहीं है।
- बहुत लेट रिटर्न फाइल करने पर और मजबूत कारण न होने पर आयकर कानून के मुताबिक सज़ा भी हो सकती है।
अगर विलंबित रिटर्न फाइल करने पर भी समय छूट जाता है, तो विशेष परिस्थिति में ही संबंधित आयकर अधिकारी से अनुमति लेकर पुराने सालों का रिटर्न फाइल किया जा सकता है।
कौन-कौन से टैक्सपेयर्स को चाहिए क्या ध्यान रखना?
हर रेजिडेंट व्यक्ति, HUF, AOP, BOI या कंपनियां जिनकी आय कर सीमा से ऊपर है, उन्हें अपना ITR फाइल करना अनिवार्य है। कुछ खास कैटेगरी, जैसे कंपनियां या जिनका इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन है, उनके लिए डेडलाइन और अतिरिक्त शर्तें लागू होती हैं।
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आमतौर पर वेतन, FD या सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन, अन्य इनकम आदि की जानकारी दर्ज करनी होगी। व्यवसाय या फ्रीलांसर हैं तो बिजनेस इनकम, खर्च, TDS या टैक्स स्लैब का सही उल्लेख आवश्यक है। टैक्स कैलकुलेट करते समय बैंक ब्याज, एलआईसी, चिकित्सा बीमा या अन्य टैक्स बचत योजनाओं का उल्लेख जरूर करें।
सुविधा एवं उद्देश्य
सरकार की तरफ से इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून और टैक्स प्रक्रिया किसी भी आम नागरिक के लिए पारदर्शी, आसान और डिजिटल रूप से सुलभ हो सके। ऑनलाइन ई-फाइलिंग में लगातार सुधार किया गया है ताकि सभी वर्ग के नागरिक किसी भी जगह से अपने दस्तावेज जमा कर सकें।
टीडीएस, टैक्स क्रेडिट या रिफंड के लिए भी समय बढ़ाने से आम नागरिकों और व्यापारियों को अपना हिसाब-किताब व्यवस्थित करने का भरपूर अवसर मिलता है। सरकार चाहती है कि हर टैक्सपेयर बिना जल्दबाजी और गलतियों के, पूरी तरह से टैक्स नियमों का पालन करते हुए रिटर्न फाइल करें।
कैसे करें ITR फाइल – आसान स्टेप्स
- सबसे पहले इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें।
- नया रिटर्न भरने के लिए जरूरी डिटेल, डॉक्युमेंट्स और फॉर्म तैयार रखें।
- अपने लिए उचित ITR फॉर्म का चयन करें, फॉर्म भरें और दस्तावेज अपलोड करें।
- रिटर्न सबमिट करें और Acknoledgement नंबर प्राप्त करें।
- रिटर्न वेरीफाई (ई-वेरिफिकेशन) करवाना अनिवार्य है।
अगर प्रक्रिया में कोई गलती रह जाती है या विवरणों में संशोधन करना होना, तो रिवाइज्ड रिटर्न भी फाइल किया जा सकता है। सभी प्रमुख अपडेट्स और आवश्यकताएं संबंधित पोर्टल पर देखी जा सकती हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, सरकार द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन को बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 करना आम करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है। इस बदलाव से न केवल फाइलिंग प्रोसेस अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी हुई है, बल्कि टैक्सपेयर्स को समय पर एवं सही रिटर्न दाखिल करने का पर्याप्त समय भी मिल गया है। अतः हर जिम्मेदार नागरिक को तय डेडलाइन के मुताबिक ITR फाइल कर अपनी कर जिम्मेदारी को पूरा करना चाहिए।