भारत में जब भी आप कोई नोट अपने हाथ में लेते हैं, तो सबसे पहले उस पर लिखी गई रकम और महात्मा गांधी की तस्वीर पर नजर जाती है। लेकिन अगर ध्यान से देखें, तो हर नोट पर एक खास जगह पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के हस्ताक्षर भी होते हैं। अक्सर लोग इन साइन को केवल एक औपचारिकता समझते हैं, लेकिन असल में इसके पीछे बहुत महत्वपूर्ण वजहें और कानूनी प्रावधान छुपे हुए हैं।
अधिकतर लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि नोटों पर RBI गवर्नर के साइन क्यों जरूरी होते हैं और इनका क्या महत्व है। जब भी देश में कोई नया गवर्नर नियुक्त होता है, तो उसी के हस्ताक्षर वाले नए नोट बाजार में जारी किए जाते हैं। पुराने नोट भी वैध रहते हैं, लेकिन नए नोटों पर नए गवर्नर के साइन होते हैं।
यह प्रक्रिया हर बार गवर्नर बदलने पर अपनाई जाती है, जिससे देश की मौद्रिक व्यवस्था में निरंतरता बनी रहे।
Indian Currency Update: New Guidelines
भारतीय रिजर्व बैंक देश की केंद्रीय बैंक है और देश में मुद्रा जारी करने का अधिकार केवल इसी संस्था के पास है। RBI गवर्नर के साइन नोट की वैधता, प्रामाणिकता और सरकारी गारंटी का प्रमाण होते हैं। जब गवर्नर के साइन के साथ नोट जारी होता है, तो इसका मतलब है कि उस नोट की कीमत के बराबर रकम का भुगतान करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक के पास है।
हर नोट पर एक लाइन लिखी होती है—”मैं धारक को 00 रुपए अदा करने का वचन देता हूँ”—और इसके नीचे गवर्नर के साइन होते हैं। यह लाइन और साइन मिलकर नोट को एक प्रॉमिसरी नोट बना देते हैं, जिसमें RBI गवर्नर खुद गारंटी देते हैं कि यह नोट वैध है और इसकी कीमत जितनी लिखी है, उतनी राशि का भुगतान किया जाएगा।
भारतीय मुद्रा अधिनियम के अनुसार, बिना गवर्नर के साइन के कोई भी नोट वैध नहीं माना जाता। यह व्यवस्था नकली नोटों से बचाव और मुद्रा की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जरूरी है। गवर्नर के साइन के बिना कोई भी नोट बाजार में चलन के लायक नहीं होता।
एक रुपये के नोट पर RBI गवर्नर के साइन क्यों नहीं होते?
यहां एक खास बात जानना जरूरी है कि सिर्फ एक रुपये के नोट पर RBI गवर्नर के साइन नहीं होते। इसकी वजह यह है कि एक रुपये का नोट RBI नहीं, बल्कि भारत सरकार का वित्त मंत्रालय जारी करता है। इसलिए इस नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। बाकी सभी नोटों पर RBI गवर्नर के साइन अनिवार्य होते हैं।
नोट छापने और जारी करने की प्रक्रिया
भारतीय नोटों की छपाई देश की चार करेंसी प्रेस में होती है। इनमें से दो प्रेस (नासिक और देवास) सरकार के अधीन हैं, जबकि दो प्रेस (मैसूर और सालबोनी) RBI की स्वामित्व वाली कंपनी के अधीन हैं। नोटों की छपाई के बाद RBI इन्हें देशभर के बैंकों के जरिए आम जनता तक पहुंचाता है।
हर बार जब नया गवर्नर नियुक्त होता है, तो उसी के साइन वाले नए नोट जारी किए जाते हैं, लेकिन पुराने नोट भी पूरी तरह वैध रहते हैं। इससे जनता को अपने पुराने नोट बदलने की कोई जरूरत नहीं होती।
RBI गवर्नर कौन होते हैं और उनकी भूमिका
RBI गवर्नर देश की मौद्रिक नीति, ब्याज दर, वित्तीय स्थिरता और मुद्रा की छपाई जैसे अहम फैसलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। गवर्नर के साइन नोट पर होने का मतलब है कि वह देश की ओर से उस नोट की वैधता और मूल्य की गारंटी दे रहे हैं।
नोटों पर साइन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि मुद्रा की कानूनी मान्यता, प्रामाणिकता और सरकारी गारंटी का सबसे बड़ा प्रमाण है। इससे जनता का भरोसा बना रहता है कि उनके पास जो नोट है, वह असली और सरकारी मान्यता प्राप्त है।
निष्कर्ष
नोटों पर RBI गवर्नर के साइन भारतीय मुद्रा व्यवस्था की रीढ़ हैं। इनके बिना कोई भी नोट वैध नहीं माना जा सकता। ये साइन न सिर्फ नोट की असलियत और सरकारी गारंटी का प्रमाण हैं, बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था में भरोसा और स्थिरता भी बनाए रखते हैं। इसलिए अगली बार जब आप अपने नोट को देखें, तो उस पर बने साइन की अहमियत जरूर समझें।