Property Registry Documents: 7 दिन में कर लें जांच – गलत कागज़ों से फँस सकती है पूरी प्रॉपर्टी

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Property Registry Documents

जब भी हम नया घर, फ्लैट या प्लॉट खरीदते हैं, तो सबसे पहली चीज़ जो दिमाग में आती है, वह है प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री। बहुत से लोग मानते हैं कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद वे उस प्रॉपर्टी के असली मालिक बन जाते हैं। लेकिन क्या सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेना ही काफी है?

असलियत यह है कि अगर आपने जरूरी दस्तावेजों की जांच नहीं की, तो नई प्रॉपर्टी आपके लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है। भारत में हर साल हजारों लोग प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन कई बार जरूरी कागजात न देखने की वजह से उन्हें कानूनी और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार फर्जीवाड़ा, पुराने मालिक की क्लियर ओनरशिप न होना, या रजिस्ट्री के बावजूद कोर्ट केस जैसी समस्याएं सामने आती हैं।

इसलिए, रजिस्ट्री से पहले सही दस्तावेजों की जांच करना बेहद जरूरी है। अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि रजिस्ट्री से पहले कौन-कौन से दस्तावेज जरूर देखने चाहिए, रजिस्ट्री की प्रक्रिया क्या है, और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इससे आप भविष्य में किसी भी मुसीबत से बच सकते हैं।

What is Property Registry?

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया है जिसमें संपत्ति के ट्रांसफर को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। यह रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत अनिवार्य है, खासकर जब प्रॉपर्टी की कीमत 100 रुपये से ज्यादा हो, जो आज के समय में हर प्रॉपर्टी पर लागू होता है।

रजिस्ट्री कराने से आपके पास सरकारी रिकॉर्ड में मालिकाना हक़ दर्ज हो जाता है। यह दस्तावेज़ कोर्ट में भी मान्य होता है और आपके हक़ की रक्षा करता है। बिना रजिस्ट्री के प्रॉपर्टी पर आपका कानूनी अधिकार साबित नहीं होता, और भविष्य में विवाद की स्थिति में आपको परेशानी हो सकती है।

दस्तावेज़ का नामविवरण/महत्व
सेल डीड (Sale Deed)प्रॉपर्टी ट्रांसफर का मुख्य कानूनी दस्तावेज़
चेन डीड (Chain Deed)ओनरशिप ट्रांसफर का पूरा रिकॉर्ड
एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेटकर्जा या विवाद की जानकारी
म्युटेशन सर्टिफिकेटसरकारी रिकॉर्ड में नाम ट्रांसफर की पुष्टि
प्रॉपर्टी टैक्स रसीदेंटैक्स भुगतान की वैधता
आधार/पैन कार्डखरीदार-विक्रेता की पहचान
पता प्रमाणदोनों पक्षों का पता प्रमाण
गवाहों की पहचानरजिस्ट्री के समय दो गवाह जरूरी

रजिस्ट्री से पहले कौन-कौन से दस्तावेज़ देखने जरूरी हैं?

बहुत से लोग सिर्फ रजिस्ट्री पर ध्यान देते हैं, लेकिन असल में कई और दस्तावेज़ भी देखने जरूरी होते हैं। अगर पुराने मालिक के पास सही कागज नहीं हैं या ओनरशिप क्लियर नहीं है, तो आपकी रजिस्ट्री भी बेकार हो सकती है।

जरूरी दस्तावेजों की सूची:

  • सेल डीड (Sale Deed): यह सबसे जरूरी दस्तावेज़ है, जिससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी का ट्रांसफर सही तरीके से हुआ है।
  • चेन डीड (Chain Deed): इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी की ओनरशिप लगातार और वैध तरीके से ट्रांसफर हुई है या नहीं।
  • एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate): यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्जा या कानूनी विवाद तो नहीं है।
  • म्युटेशन सर्टिफिकेट (Mutation Certificate): इससे सरकारी रिकॉर्ड में नाम ट्रांसफर हुआ या नहीं, यह पता चलता है।
  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें: यह दिखाती हैं कि टैक्स का भुगतान सही तरीके से हुआ है।
  • आईडी प्रूफ (आधार, पैन कार्ड): खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए जरूरी।
  • पता प्रमाण (Address Proof): खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए।
  • दो गवाहों की पहचान: रजिस्ट्री के समय दो गवाहों का होना जरूरी है।

रजिस्ट्री की प्रक्रिया

  1. दस्तावेज़ तैयार करना: सबसे पहले सभी जरूरी दस्तावेज़ तैयार करें और वकील से जांच करवाएं।
  2. स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस: प्रॉपर्टी की कीमत के अनुसार स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करें।
  3. उप-रजिस्ट्रार ऑफिस जाना: खरीदार, विक्रेता और दोनों गवाहों के साथ उप-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाएं।
  4. दस्तावेज़ जमा करना: सभी दस्तावेज़ और फीस की रसीद जमा करें।
  5. फिंगरप्रिंट और फोटो: ऑफिस में फिंगरप्रिंट और फोटो लिए जाते हैं।
  6. रजिस्ट्री का रिकॉर्ड: प्रक्रिया पूरी होने के बाद रजिस्ट्री की कॉपी मिलती है, जो भविष्य के लिए संभालकर रखें।

रजिस्ट्री न कराने या गलत दस्तावेज़ों के खतरे

  • कोर्ट में दस्तावेज़ मान्य नहीं होंगे: बिना रजिस्ट्री या गलत दस्तावेज़ों के आपकी प्रॉपर्टी कोर्ट में साबित नहीं होगी।
  • ओनरशिप पर विवाद: अगर पुराने मालिक की ओनरशिप क्लियर नहीं है, तो आपके लेनदेन पर भी सवाल उठ सकते हैं।
  • फ्रॉड और फर्जीवाड़ा: सही दस्तावेज़ न देखने पर फर्जीवाड़े का शिकार हो सकते हैं।
  • लंबे कोर्ट केस: गलत दस्तावेज़ों की वजह से सालों तक कोर्ट केस चल सकते हैं।

किन बातों का रखें ध्यान?

  • हमेशा पुरानी सेल डीड और चेन डीड जरूर देखें।
  • प्रॉपर्टी पर कोई कर्जा या कानूनी विवाद तो नहीं, इसका एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट से पता करें।
  • म्युटेशन सर्टिफिकेट से सरकारी रिकॉर्ड में नाम ट्रांसफर हुआ या नहीं, जांच लें।
  • सभी दस्तावेज़ों की वकील से जांच जरूर करवाएं।
  • रजिस्ट्री के समय दोनों गवाहों की पहचान और उपस्थिति सुनिश्चित करें।
  • सभी फीस और टैक्स की रसीदें संभालकर रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कब तक करानी चाहिए?
दस्तावेज़ निष्पादन के 4 महीने के भीतर रजिस्ट्री करानी जरूरी है।

क्या बिना रजिस्ट्री के प्रॉपर्टी बेची जा सकती है?
नहीं, बिना रजिस्ट्री के प्रॉपर्टी का ट्रांसफर कानूनी रूप से मान्य नहीं होता।

रजिस्ट्री के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ अनिवार्य हैं?
सेल डीड, एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, म्युटेशन सर्टिफिकेट, आईडी प्रूफ, पता प्रमाण, टैक्स रसीदें, और दो गवाहों की पहचान।

अगर दस्तावेज़ समय पर रजिस्ट्री नहीं हुए तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति में दस्तावेज़ कोर्ट में मान्य नहीं होंगे और ओनरशिप पर विवाद हो सकता है।

निष्कर्ष

रजिस्ट्री कराना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है सभी जरूरी दस्तावेज़ों की सही जांच। सिर्फ रजिस्ट्री से आप प्रॉपर्टी के मालिक नहीं बनते, जब तक कि पुराने सभी कागजात सही और वैध न हों। थोड़ी सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। इसलिए, प्रॉपर्टी खरीदने से पहले हर दस्तावेज़ को ध्यान से जांचें और वकील की सलाह जरूर लें।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। प्रॉपर्टी रजिस्ट्री और दस्तावेज़ों की जांच एक वास्तविक और जरूरी प्रक्रिया है, जिसे नजरअंदाज करना भारी नुकसान दे सकता है। कोई भी लेनदेन करने से पहले विशेषज्ञ या वकील की सलाह जरूर लें।

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