Registry Tax Increased 2025: जमीन के रजिस्ट्रेशन पर तय नए 6 पॉइंट्स, जो आपके सपना होगा सच या सब्र की कसौटी

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Registry Tax Increased 2025

2025 में भारत सरकार ने संपत्ति खरीद-बिक्री के नियमों में अहम बदलाव किए हैं। अब प्रॉपर्टी खरीदने वालों को जमीन की रजिस्ट्री पर पहले से ज्यादा टैक्स देना होगा। यह निर्णय सरकार की योजना के तहत देशभर में लागू किया गया है और इसका उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता तथा टैक्स कलेक्शन बढ़ाना है।

पिछले साल की तुलना में, इस बार कई राज्य सरकारों ने रजिस्ट्रेशन और स्टाम्प ड्यूटी के चार्ज में बढ़ोतरी की है। इससे प्रॉपर्टी खरीदने वालों की जेब पर और बोझ बढ़ेगा। बढ़े हुए टैक्स के चलते प्रॉपर्टी की कुल लागत भी बढ़ गई है।

विस्तार से समझें

2025 में लागू की गई नई व्यवस्था के तहत, प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री पर लगने वाला टैक्स यानी स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में काफी हद तक बढ़ोतरी की गई है। रियल एस्टेट क्षेत्र में इसे ‘ठोस झटका’ माना जा रहा है, क्योंकि अधिकांश राज्यों ने रजिस्ट्री चार्ज को 1% और स्टाम्प ड्यूटी को 4% से 8% के बीच तय किया है।

ज्यादातर राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी संपत्ति की कीमत के आधार पर वसूली जाती है। जैसे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल आदि में यह रेट अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में पुरुषों के लिए 6% और महिलाओं के लिए 4% स्टाम्प ड्यूटी लगती है, जबकि रजिस्ट्रेशन फीस 1% है। यूपी में स्टाम्प ड्यूटी 7% और रजिस्ट्रेशन फीस 1% है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में भी स्टाम्प ड्यूटी 4% से 7% और रजिस्ट्रेशन फीस 1% के करीब पहुंच गई है।

2025 के लिए, रजिस्ट्रेशन फीस का नया नियम यह है कि 30 लाख रुपए से कम कीमत के प्रॉपर्टी के लिए 1% शुल्क लिया जाएगा। जबकि इससे अधिक कीमत की प्रॉपर्टी के लिए यह फीस 30,000 रुपए फिक्स कर दी गई है। इस बदलाव से महंगी संपत्ति पर टैक्स में भी बढ़ोतरी देखी जाएगी।

कौन सी योजना के तहत हुआ बदलाव?

सरकार ने ‘Registration Bill 2025’ के तहत रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी शुल्क में बदलाव किए हैं। इस बिल की शुरुआत 27 मई 2025 को हुई थी, जिससे 1908 के पुराने Registration Act को बदल दिया गया है।

इस नई व्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया है। अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्री से जुड़े सभी कार्य, जैसे- ई-स्टंपिंग, ई-साइन, आधार और पैन से वेरिफिकेशन आदि पूरी तरह ऑनलाइन होंगे। रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया 7 वर्किंग डेज़ में पूरी करनी होगी।

सरकार ने सभी पेमेन्ट को डिजिटली अनिवार्य कर दिया है। यानी, अब स्टेट सरकारों के एकीकृत पोर्टल जैसे e-GRAS के माध्यम से ही स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा होंगे। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय की बचत होगी।

किसे फायदा और किसको नुकसान?

इस बार बढ़े हुए टैक्स से पहली बार घर खरीदने वाले, निवेश करने वाले और छोटे शहरों के लोग ज्यादा प्रभावित होंगे। बड़े शहरों या प्रीमियम लोकेशन में प्रॉपर्टी खरीदना और भी महंगा हो गया है। हालांकि, सरकार ने बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रजिस्ट्री और स्टाम्प ड्यूटी कम रखने की नीति जारी रखी है।

सरकार का कहना है कि रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प ड्यूटी बढ़ने से उसकी आमदनी बढ़ेगी, जिससे शहरी व ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो सकेगा। दूसरी ओर, आम लोगों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना और कठिन हो गया है, क्योंकि कुल खर्च में भारी इजाफा हुआ है।

प्रमुख राज्य

राज्यस्टाम्प ड्यूटीरजिस्ट्रेशन फीस
उत्तर प्रदेश7%1%
दिल्ली6% (पुरुष), 4% (महिला)1%
महाराष्ट्र5%-7%1% (अधिकतम ₹30,000)
गुजरात4.9%1%
कर्नाटक2-5%1%
पश्चिम बंगाल4%-7%1%

रजिस्ट्री फीस का ऑनलाइन भुगतान कैसे करें?

  1. अपने राज्य के ऑफिसियल रजिस्ट्री पोर्टल या e-GRAS पोर्टल पर जाएं।
  2. अपनी संपत्ति के सभी जरूरी दस्तावेज अपलोड करें।
  3. आधार या पैन से वेरिफिकेशन पूरा करें।
  4. ऑनलाइन डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग या यूपीआई से टैक्स राशि भरें।
  5. भुगतान के तुरंत बाद डिजिटल रसीद मिलेगी।
  6. तय समय में ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होगी।

निष्कर्ष

2025 में सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री पर टैक्स की दरें और प्रक्रिया दोनों बदल दिए हैं। अब सभी को डिजिटल ढंग से ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। इससे जहां प्रशासनिक प्रक्रिया सरल और तेज हुई है, वहीं प्रॉपर्टी खरीदने वालों पर टैक्स का बोझ भी बढ़ा है। अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान कर रहे हैं, तो नए टैक्स रेट और ऑनलाइन प्रक्रिया की जानकारी रखना आपके लिए जरूरी है।

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